hanuman jayanti
अंजनीच्या सुता तुला रामच वर दान
एकमुखाने बोला ,
बोला जय जय हनुमान
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भीमरूपी महारुद्र,
वज्रहनुमान मारुती
नासती तुटती चिंता
आनंदे भीमदर्शने
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सत्राने उड्डाणे
हुंकारे वद्नी
करी डळमळ भुमंडळ
सिंधुजळ गग नी
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ध्व्जंगे उचली बाहो
आवेशे लोटला पुढे
कालाग्नी कालरुद्राग्नी
देखता कापती भये
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पवनपुत्र हनुमान की जय
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